|| TOP STORY || Tara Rani Ki Katha in Hindi and Punjabi

tara rani ki katha in hindi

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tara rani ki katha in hindi

tara rani की कथा !!

“tara rani ” का राजा हरीश चंदर हर रोज भेस बटा कर अपनी प्रजा का हाल देखने जाता था। हर रोज जाता था लेकिन कभी दिल को छू जाने वाली घटना अब तक तो नहीं घटी थी ,,,,,,,,,,,.रोज की तरह निकला। ..अपने महल से। ……और चल दिया बस्ती की तरफ लोगो की ख़ैरियत देखने। कच्चे रस्ते पे चलते चलते मन में आया की आज ग्वालो की तरफ चलते है। चलो देखते है उनका हाल। ,,,,,,,,,..चलते चलते एक लड़की (tara rani) के रोने की आवाज़ सुनाई दी। जिस दिशा से आवाज़ आ रही थी उस दिशा में चल पड़ा राजा। ,,एक पुराणी घास फूस से बनी झोपडी से आवाज़ आ रही थी तो राजा एक कोने में खड़ा हो गया। झोपडी की खस्ता हालत देखकर गरीबी का अंदाज़ दूर से ही लगाया जा सकता था।tara rani ki katha in hindi

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बस झु कह लो के किसी तरह टिकी थी यह झोपडी भगवान् के आसरे अपना आप बचाए हुए।
अभी झोपडी का विचार ही मन में चल रहा था की लड़की के रोने की आवाज़ दुबारा फिर सुनाई दी। राजा झोपडी की एक ओर खड़ा होकर कान लगा अंदर की बाते सुनने लगा। लड़की रो रो कर कह रही थी पिता जी में दूध में पानी नहीं मिलाऊगी और पिता इसी बात पर लड़की को डांट लगा रहा था। पिता बोला की अगर हम दूध में पानी नहीं डालेंगे तो हमारे घर का गुज़र बसर कैसे होगा। जो खाना हमे दो समय मिलता है वह एक समय भी नसीब नहीं होगा। लड़की आगे से रो रो कर यही बोलती रही की मैं दूध में पानी नहीं मिलाऊगी।लड़की के बार बार मना करने के बाद पिता ने पूछा के यह सब तुझे किसने सिखाया। तो लड़की बोली की पिता जी मैं साधुओ की संगत में जाती हूँ वहां साधु महराज बता रहे थे की पाप करने से हमारे मन को शांति नहीं मिलती और इस शरीर की मुक्ति नहीं होती।भाई गुरदास जी लिखते है !!

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tara rani को पिता की डॉट पड़ना !!

तो मैने उनसे पूछा की यह पाप क्या होता है ?तो उन्होंने मुझसे पूछा की तुम्हारे पिता जी क्या काम करते है। मैने बताया जी ग्वाले है हम।साधु महराज बोले की जैसे पशु हमे दूध देते है वैसे ही आगे बेच देना। अगर उसमे कोई मिलावट करेंगे तो वह पाप कर्म होगा। जिस से मुझे पाप का पता चल गया तो अब में दूध में पानी की मिलावट नहीं करुँगी बाहर खड़े राजे की बाप बेटी की बातें सुनकर रुह तक कंब गई। राजा मन ही मन सोचने लगा की मेरी सभी राणीआ तो ऐशो आराम में मस्त है इतनी ईमानदारी तो उनमे दूर तक नज़र नहीं आती क्यो न मै इस लड़की (tara rani) को अपनी रानी बना लू। आखर अपने मन में विचार करते करते महल को वापस आ गया। वहाँ जाकर सिपाईओ को आदेश दिया की जाओ उस ग्वाले को मेरे सामने पेश करो।

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सिपाईओ ने हुक्म को माना और ग्वाले को राजा के सामने हाज़िर कर दिया। राजा ने बड़े अदब से ग्वाले को सारी बात बताई और अपनी रानी (tara rani) बनाने की इच्छा जाहिर की। ग्वाले ने अपनी लड़की की शादी राजा से कर दी।एक रात राजा सो रहा था की अचानक उसकी आँख खुली। राजे ने रानी के बिस्तर की तरफ देखा तो बिस्तर खाली पड़ा था। राजा ने सोचा शायद रानी यहीं आस पास होगी। उसने रानी क ईधर उधर ढूंढा लेकिन रानी कहीं दिखाई नहीं दी। राजा देखता रह गया जब रानी (tara rani) आई और अपने बिस्तर पर आराम से सो गई। राजा मन ही मन सोचने लगा की उस दिन तो बहुत सच की देवी बन रही थी और आज आधी रात को पता नहीं कहाँ से आ रही है।

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tara rani  पर राजा का शक करना।

दूसरी रात फिर से वैसा ही हुआ। “tara rani” उठी और पैर दबाकर चल पड़ी। इस बार राजा ने रानी  का पीछा किया। रानी एक सत्संग में जा पहुंची। यह वही सत्संग था जो रानी के कहने पर रात को भी होने लगा था। राजा ने मन में बोला की आज तो देख लिया रानी को। जे तो सत्संग करने आती है वो भी मुझे बिना बताए। राजा ने रानी को झूठा साबित करने के लिए उसकी एक खड़ाव उठा महल में वापस आ गयाऔर खड़ाव को संभाल के रखा और सो गया। उधर जब सत्संग खतम हुआ और tara rani महल में वापस आने के लिए बाहर निकली तो देखा की उसकी एक खड़ाव गुम है। रानी को पता था की जे सब राजा ने जानबूझकर उसको गलत साबित करने के लिए किया है तो थोड़ा घबराई। रानी वापस आई और खड़ाव गुम होने की बात सत्संग में बताई।सभी सतसंगी जो वहां मजूद थे सब भगवान के आगे अरदास की के रानी की खड़ाव वापस मिल जाए।

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उन दिनों सतसंग सत्य थे और सभी पूरे मन से भगवान को याद किया करते थे। संगत की अरदास भगवान ने सुनी और खड़ाव का जोड़ा पूरा हो गया। tara rani ने भगवान का धन्यवाद किया और वापस अपने महल में आ गई आते ही रोज़ की तरह अपने बिस्तर पर सो गई।सुबह जब राजा उठा तो वह दंग रह गया। दोनों खड़ाव वहां मजूद थी। राजा ने दोनों पैरो को उठा उठा कर देखा और वह परेशान हो गया। उसने रात को जो खड़ाव उठाई थी वह बी रख कर देखी। वह भी पूरी मेल खा रही थी राजा बोला जे कैसे संभव है। फिर उसने मन बड़ा कर कर सारी बात रानी को बता दी की मैने तुम्हे झूठा साबित करने की लिए तुम्हारा पीछा किया और उसकी एक खड़ाव उठा ली थी। तुम्हारे पास यह खड़ाव का जोड़ा कहाँ से आया ?tara rani ने बताया की आप के डर के कारण जब मुझे एक खड़ाव नहीं मिल रही थी तो मैने संगत में यह बात बताई। तो सारी सत्संग ने अरदास की और मेरी खड़ाव वापस आ गई।

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राजा सत्संग की ताकत देख नम्रता से झुक गया। राजा ने रानी को बिनती की अब आगे से वह जब भी सत्संग में जाए तो उसको भी साथ लेकर जाए ताकि उसका जीवन भी सुधर सके।इस तरह तारा नाम की ग्वाले की लड़की ने tara rani बनकर राजा हरीश चंदर का जीवन बदल दिया। ……

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